रामायण में नवरात्रि का सीधा उल्लेख नहीं मिलता है, लेकिन देवी शक्ति की पूजा और आराधना से संबंधित कुछ घटनाएँ हैं जो इस त्योहार से जुड़ी मानी जाती हैं:
रामायण के अनुसार, भगवान राम ने रावण से युद्ध करने से पहले शक्ति की देवी दुर्गा का आह्वान किया था। यह घटना 'अकाल बोधन' के नाम से जानी जाती है, जिसमें भगवान राम ने शरद ऋतु में, वसंत के बजाय देवी का आह्वान किया था।
वाल्मीकि रामायण में इस घटना का विस्तृत वर्णन नहीं है, लेकिन बंगाल के 'कृत्तिवासी रामायण' जैसे क्षेत्रीय संस्करणों में इसका उल्लेख मिलता है। इस अनुसार, राम ने रावण के विनाश के लिए देवी की शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए 108 नीले कमल से पूजा की थी।
रामायण में, सीता को देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। कई विद्वानों का मानना है कि सीता-राम कथा शक्ति और पुरुष के बीच एकता का प्रतीक है, जो नवरात्रि के मूल सिद्धांतों से जुड़ता है।
हालांकि मूल वाल्मीकि रामायण में नवरात्रि का स्पष्ट उल्लेख नहीं है, बाद के पुराणों और धार्मिक ग्रंथों ने रामायण की कथाओं को नवरात्रि उत्सव से जोड़ा है। विशेष रूप से, दुर्गा सप्तशती (या देवी माहात्म्य) में राम द्वारा देवी दुर्गा की आराधना का उल्लेख है।
प्राचीन वाल्मीकि रामायण में नवरात्रि का प्रत्यक्ष उल्लेख न होने के बावजूद, हिंदू परंपरा में राम-रावण युद्ध और दुर्गा पूजा के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध स्थापित किया गया है। यही कारण है कि दशहरा (विजयादशमी) और दुर्गा पूजा एक ही समय मनाए जाते हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं।
By Ankur Kansotia